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नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन के निधन की खबर गलत, बेटी ने कहा- स्वस्थ हैं पिता

जाने-माने अर्थशास्त्री और नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन की निधन की खबर को उनकी बेटी नंदना देब सेन ने गलत बताया है. PTI ने ट्वीट किया ''नंदना देब सेन ने अपने पिता नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन के निधन की खबर से इनकार किया है.'' इससे पहले कई न्यूज वेबसाइट और चैनलों ने खबर चलाई थी कि सेन का मंगलवार 10 अक्टूबर को 89 साल की उम्र में निधन हो गया. दरअसल उनके निधन की घोषणा अमेरिकी आर्थिक इतिहासकार क्लाउडिया गोल्डिन के नाम के एक ट्विटर अकाउंट की गई थी.

अमर्त्य सेन का जन्म 3 नवंबर 1933 को हुआ था. वह जाने-माने भारतीय अर्थशास्त्री और दार्शनिक हैं, जिन्होंने 1972 से यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका में पढ़ाया. वह वर्तमान में Thomas W. Lamont यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र और दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर हैं. वेलफेयर इकनॉमिक्स में उनके योगदान के लिए उन्हें 1998 में आर्थिक विज्ञान में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

अमर्त्य सेन का करियर
सेन ने 1956 में जादवपुर यूनिवर्सिटी के अर्थशास्त्र विभाग में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर के रूप में एक शिक्षक और एक रिसर्च सकॉलर दोनों के रूप में अपना करियर शुरू किया. उन्होंने उस पद पर दो साल बिताए. 1957 से 1963 तक सेन ने ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज के फेलो के रूप में कार्य किया. 1960 और 1961 के बीच सेन अमेरिका में मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में विजिटिंग प्रोफेसर थे.
वह कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी बर्कले (1964-1965) और कॉर्नेल यूनिवर्सिटी (1978-1984) में विजिटिंग प्रोफेसर भी थे. उन्होंने 1963 और 1971 के बीच दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर के रूप में पढ़ाया (जहां उन्होंने 1969 में अपनी महान रचना कलेक्टिव चॉइस एंड सोशल वेलफेयर पूरी की.

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