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Wrestler's protest: जरूरत हुई तो गोली भी मारेंगे... के जवाब में बजरंग पूनिया का ट्वीट- बता कहां आना है गोली खाने

 

नई दिल्ली. कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ पहलवानों के विरोध प्रदर्शन के बीच एक भड़काऊ ट्वीट वायरल है. यह ट्वीट डॉ. एनसी अस्थाना आईपीएस रिटायर्ड ( Dr. NC Asthana, IPS, Retd) के हैंडल से किया गया है. इस ट्वीट में पोस्टमॉर्टम टेबल पर मिलने की बात की गई है. यह भी कहा गया है कि जरूरत हुई तो गोली भी मारेंगे. इस पर ओलंपियन बजरंग पूनिया का जवाब भी आया है. उन्होंने जवाब दिया है- भाई सामने खड़े हैं, बता कहाँ आना है गोली खाने… लोकप्रिय कवि कुमार विश्वास ने भी डॉ. एनसी अस्थाना के ट्वीट पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है. आइए जानते हैं कि सारा मामला क्या है.

ओलंपिक में मेडल जीत चुके बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक, विनेश फोगाट, संगीता फोगाट समेत कई पहलवान रविवार को नई संसद के पास कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे. पहलवान संसद के करीब बैरीकेड्स पार करने की कोशिश कर रहे थे. लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया. इतना ही नहीं पुलिस ने विनेश फोगाट समेत कई पहलवानों से धक्कामुक्की की. बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर यौन शोषण के आरोप हैं.

पुलिस के व्यवहार पर बजरंग पूनिया का बयान आया, हमें गोली मार दो. बजरंग पूनिया के इसी बयान पर डॉ. एनसी अस्थाना आईपीएस रिटायर्ड ( Dr. NC Asthana, IPS, Retd) के हैंडल से ट्वीट किया गया, ‘ज़रूरत हुई तो गोली भी मारेंगे। मगर, तुम्हारे कहने से नहीं. अभी तो सिर्फ कचरे के बोरे की तरह घसीट कर फेंका है. दफ़ा 129 में पुलिस को गोली मारने का अधिकार है. उचित परिस्थितियों में वो हसरत भी पूरी होगी. मगर वह जानने के लिये पढ़ालिखा होना आवश्यक है. फिर मिलेंगे पोस्टमॉर्टम टेबल पर!’

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इसके बाद बजरंब पूनिया ने एनसी अस्थाना को जवाब देते हुए ट्विटर पर लिखा, ‘ये IPS ऑफिसर हमें गोली मारने की बात कर रहा है. भाई सामने खड़े हैं, बता कहाँ आना है गोली खाने… क़सम है पीठ नहीं दिखाएँगे, सीने पे खाएँगे तेरी गोली। यो ही रह गया है अब हमारे साथ करना तो यो भी सही.’

कुमार विश्वास ने भी भड़काऊ ट्वीट करने वाले एनसी अस्थाना को जवाब दिया. उन्होंने लिखा, ‘ किसान-आंदोलन के समय बालकनी में कैक्टस उगाने वाले फ़ेसबुक-क्रांतिकारी जब किसानों को गालियां दे रहे थे तब भी कहा था आज फिर कह रहा हूं. आप किसी भी आंदोलन के मुद्दे से सहमत-असहमत हो सकते हैं किंतु दोनों पक्षों को कम से कम संवैधानिक मर्यादा व संवेदनशीलता तो रखनी ही होगी. ओछी-भाषा, अहंकार व हठधर्मिता आपको सुकून व वाँछित कृपा तो दे सकते है किंतु भारत नामक समावेशी-विचार के विपरीत जाते है. ईश्वर सद्-बुद्धि दें और समय रहते न्याय करे.’

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