दौसा:- कहते हैं कि दूल्हा-दुल्हन की जोड़ियां तो आसमान में बनती हैं.शादी-विवाह तो दूल्हा-दुल्हन का एक संजोग है. धरती पर तो बस दोनों की जोड़ी को मिलवाने का माध्यम कुछ लोग बनते हैं. राजस्थान के दौसा जिले में हुई एक ऐसी शादी, जिसकी हर कोई चर्चा कर रहा है. शादी करने वाले दूल्हे की उम्र 55 साल है, जबकि दुल्हन की उम्र दूल्हे से आधी यानि मात्र 25 साल है. फिर भी हर कोई इस शादी और दूल्हे की तारीफ कर रहा है.
दौसा जिले के लालसोट के नवरंग पुरा गांव के रहने वाले बल्लू राम उर्फ बलराम की शादी नापा का बास में रहने वाली विनीता से हुई. आप भी सोच रहे होंगे कि शादी तो सभी की धूमधाम से होती है, इसमें खास क्या है? वह है इस शादी के पीछे की वजह, जो हर किसी को हैरान करने वाली है. क्योंकि दुल्हन दिव्यांग है. वह चलने में पूरी तरह असमर्थ है. वहीं, बल्लू राम पूर्ण रूप से स्वस्थ हैं, लेकिन उम्र में दुल्हन से दुगना है.
55 की उम्र में शादी का बनाया मन
दूल्हा बल्लू राम उर्फ बलराम पिछले 31 साल से गांव में मौजूद मंदिर में भगवान शिव की पूजा अर्चना में जुटा हुआ था. भोले बाबा की भक्ति के कारण उसके मन में कभी शादी का विचार नहीं आया. बल्लू राम के 7 भाई-बहन हैं. उसने उम्र के अंतिम पड़ाव में शादी करने का निर्णय लिया तो परिवार रिश्तेदारों ने लड़की ढूंढना शुरू कर दी. एक दिन बल्लू को जानकारी लगी कि नापा के बास में रहने वाली विनीता दिव्यांग है, उसकी शादी नहीं हो रही है. बल्लू राम ने विनीता से शादी करने का निर्णय लिया.
12 साल की उम्र में दिव्यांग हो गई थी विनीता
दुल्हन के परिवार का कहना है कि विनीता जब 12 साल की थी, तब आंगन में लगे पेड़ से नीचे गिरने से उसकी रीड़ की हड्डी टूट गई थी. सालों तक उसका इलाज करवाया लेकिन विनीता के कमर के नीचे के हिस्से ने काम करना बंद कर दिया था. बेटी के दिव्यांग होने के कारण उसकी शादी नहीं हो पा रही थी. पूरा परिवार परेशान था. परिवार के लोगों ने बताया कि इस बीच विनीता के लिए रिश्ता आया था, लेकिन वो लड़का भी दिव्यांग था. हमने सोचा ऐसे में विनीता का ख्याल कौन रखेगा, यह समस्या सामने खड़ी हो रही थी. जब बल्लूराम का रिश्ता आया तो परिजन खुश हो गए.
दुल्हन के भाई ने दिलवाए सात फेरे
दोनों ही परिवारों ने दूल्हा बल्लू राम और दुल्हन विनीता का रिश्ता तय किया. 3 मई को दोनों की शादी पूरे रीति रिवाज के साथ करवाई गई. फेरे के वक्त विनीता को उसके भाई ने गोद में उठाया था. इसी तरह बल्लू राम और विनीता ने अग्नि के सात फेरे लिए. उसके बाद शादी की बाकी रस्में पूरी की गईं. इस शादी से दोनों परिवारों के साथ-साथ पूरे गांव के लोग भी काफी खुश हैं. गांव के लोग बल्लू राम के इस फैसले की तारीफ कर रहे हैं. उनका कहना है कि बल्लू राम ने इस फैसले से दिव्यांग लड़की की जिंदगी सवार दी है.
दूल्हा बल्लू राम उर्फ बलराम ने परिवार और गांव वालों के सामने अपने विचार रखे. कहा कि वह पिछले 31 साल से भगवान भोलेनाथ की सेवा कर रहा था. कभी शादी का नहीं सोचा था, मगर जब विनीता के बारे में जानकारी मिली तो उससे शादी करने का संकल्प लिया. शादी कर ली, यह भी एक तरह की सेवा है. उनके फैसले से विनीता को सहारा मिलेगा और उनकी सेवा भी जारी रहेगी.
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