नई दिल्ली:- दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP ) के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कोरोना काल के दौरान राष्ट्रीय राजधानी में अपने सरकारी बंगले के सिर्फ सुंदरीकरण (बने-बनाए घर के रेनोवेशन या फिर उसे चमकाने) पर 44 करोड़ 78 लाख रुपए खर्च कर दिए। यह बड़ा खुलासा आपके प्रिय हिंदी न्यूज चैनल "टाइम्स नाऊ नवभारत" के "ऑपरेशन शीशमहल" के जरिए हुआ, जो कि मंगलवार (25 अप्रैल, 2023) शाम प्रसारित किया गया।
लगभग एक करोड़ के 23 पर्दों का ऑर्डर
ऑपरेशन के दौरान हुई तहकीकात में जो दस्तावेज सामने आए, उनसे पता चला कि सीएम आवास में आठ-आठ लाख रुपए तक का एक पर्दा लगाया गया। सीएम आवास में लगे पर्दों पर कुल एक करोड़ रुपए खर्च हुए। कुल 23 पर्दों का ऑर्डर दिया गया था, जिनमें कुछ लगे और कुछ लगने बाकी हैं। शुरुआत में (2021-22 में) आठ पर्दे लगवाए गए थे, जिन पर 45 लाख खर्च हुए और दूसरे फेज में 15 पर्दों का ऑर्डर दिया गया और इनकी कीमत लगभग 51 लाख रुपए थी
वियतनाम से आया सुपीरियर मार्बल
डॉक्यूमेंट्स से यह भी मालूम पड़ा कि केजरीवाल के सरकारी आवास में जो मार्बल लगा है, वह वियतनाम से मंगाया गया था। सुपीरियर क्लास के डियोर पर्ल मार्बल की कीमत एक करोड़ 15 लाख रुपए है, जिसकी फिटिंग भी अलग और खास तरीके से कराई जाती है।
प्वॉइंटर्स में समझें कि किन चीजों पर कितनी रकम हुई खर्च?
- 23 पर्दों का ऑर्डर - एक करोड़ से अधिक
- वियतनाम का डियोर मार्बल - करीब तीन करोड़
- वॉर्डरोब (अलमारी) - लगभग 40 लाख
- इंटीरियर डेकोरेशन 11.30 करोड़ रुपए
- सुपीरियर कंसल्टेंसी - एक करोड़
- दीवार की साज-सज्जा - चार करोड़ से अधिक
- घरों के खंभे - 21 लाख से अधिक
- रसोई (दो किचन) - 63 लाख 75 हजार (पहला ग्राउंड पर 31 लाख रुपए से अधिक का, दूसरा- पहले माले पर 32 लाख खर्च)
- छह कालीनें (हाथ से बुने Wool के कार्पेट्स) बिछाई गईं - लगभग 20 लाख रुपए
अन्ना ने साध ली चुप्पी, कहा- नहीं देना चाहता बयान
केजरीवाल के गुरु माने जाने वाले समाजसेवी अन्ना हजारे से जब इस ऑपरेशन को लेकर सवाल हुआ तो उन्होंने टाइम्स नाऊ नवभारत को बताया कि वह अरविंद पर कुछ नहीं कहना चाहते हैं। रिपोर्टर ने दोबारा सवाल दागा और उनकी प्रतिक्रिया जाननी चाही तब उन्होंने हाथ हिलाकर (न का इशारा करते हुए) मना कर दिया।
AAP की ओर से क्या आया रिएक्शन?
आप सांसद और पार्टी प्रवक्ता राघव चड्ढा ने कहा, "केजरीवाल आंदोलन से निकले नेता हैं। वह कोई फकीर नहीं हैं। वह जिस घर में रहते थे, वह साल 1942 में बना था। घर के अंदर बेडरूम से लेकर दफ्तर तक की छत से पानी टपकती थी। एक-दो बार छत गिरी भी। चूंकि, वहां बुजुर्ग भी रहते थे, लिहाजा लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने ऑडिट की और फिर उसे तोड़कर नया बनाने की बात कही थी। बाद में मकान फिर से बना था।
बकौल चड्ढा, "यह बंगला प्राइवेट तो नहीं है। वह एक सरकारी बंगला है। अगर एक सीएम के घर पर इतना खर्च हुआ तब उसकी तुलना और सीएम और पीएम से भी की जानी चाहिए। अगर सीएम शिवराज सिंह के आवास में चूना रगड़ाई पर 20 करोड़ खर्च हुआ तब तो फिर देखना होगा। पीएम मोदी का मकान फिर बनाया जा रहा है, जिसका अनुमानित खर्च 500 करोड़ है। समझा जाता है कि यह रकम दोगुनी से तीन गुनी हो सकती है।"
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