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स्कूल में संस्था प्रधानों की जिम्मेदारी तय, शिक्षा विभाग ने दी अभिभावकों को बड़ी राहत बड़ी राहत

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 स्कूल में ही बनेंगे विद्यार्थियों के मूलनिवास प्रमाण पत्र


जयपुर:- राज्य सरकार के शिक्षा विभाग ने विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों की परेशानी देखते हुए एक नई पहल की है। जिससे विद्यार्थियों व अभिभावकों को तो फायदा होगा, लेकिन सरकारी स्कूलों में काम का बोझ ज्यादा बढ़ जाएगा। जिसका प्रभाव सीधा विद्यार्थियों के अध्यापन कार्य पर पड़ेगा। नई पहल में ई-मित्र केेंद्रों से छुटकारा दिलाते हुए मूल निवास प्रमाण-पत्र स्कूल से जारी करने के आदेश जारी किए हैं। ऐसे में सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे कक्षा पाचंवी से आठवीं तक के विद्यार्थियों के मूल निवास प्रमाण पत्र की पूरी प्रक्रिया स्कूलों मेें ही होगी। इस संबंध में संयुक्त शासन सचिव गृह विभाग ने आदेश जारी किया है। विद्यार्थियों के मूल निवास बनाने के आवेदन ई-मित्र केंद्रों से नहीं जिस स्कूल में विधार्थी पढ़ रहा है। उस स्कूल से ही भरे जाएंगे। सक्षम अधिकारी की ओर से जारी होने के बाद मूल निवास प्रमाण पत्र स्कूल से ही वितरित किए जाएंगे। गृह विभाग की ओर से जारी एडवाइजरी के दिशा निर्देशों के अनुसार राज्य के सभी सरकारी तथा गैर सरकारी विद्यालयों में अध्ययनरत कक्षा 5 से 8 वीं तक के विद्यार्थियों के मूल निवास प्रमाण-पत्र जारी करने के लिए निर्धारित आवेदन स्कूल के संस्था प्रधान भरवाएंगे। प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय ने भी इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं। गाइड लाइन के अनुसार मूल निवास प्रमाण पत्र यथा संभव कक्षाओं में जारी किया जाएगा।

नहीं लगाने पड़ेंगे चक्कर

मूल निवास पत्र बनाने के लिए पहले पटवारी, सरपंच व दो राजपत्रित अधिकारियों के हस्ताक्षर कराने होते हैं। सभी के हस्ताक्षर होने के बाद ई-मित्र केंद्र पर जाकर आवेदन को अपलोड करना होता है, उसके बाद संबंधित तहसीलदार के पास आवेदन जाता है। वहां से सत्यापित होने के बाद उपखंड अधिकारी के पास जाता है। फिर पूरी प्रक्रिया होने के बाद उपखंड अधिकारी के डिजिटल हस्ताक्षर होने के बाद फिर से प्रमाण-पत्र ई-मित्र पर आता है। ऐसे में विद्यार्थी को कई बार अधिकारियों व सरकारी कर्मचारियों के पास जाकर चक्कर लगाना पड़ता है। प्रमाण पत्र बनाने में कई दिनों तक इंतजार भी करना पड़ता है। अब स्कूलों में प्रक्रिया शुरु होने से बच्चों और अभिभावकों की मेहनत कम व साथ ही खर्चा भी आधा हो जाएगा।

दिशा-निर्देशों के अनुसार संस्था प्रधानों की होगी जिम्मेदारी तय..

गृह विभाग की ओर से जारी दिशा-निर्देशों में आवेदन में चाही गई सही जानकारी भरने की जिम्मेदारी संस्था प्रधान की होगी, ताकि भविष्य में विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति आदि के लिए परेशानी नहीं होना पड़े। संस्था प्रधान सभी दस्तावेज को सरकार की ओर से अधिकृत उपखंड अधिकारी के परिक्षेत्र में स्थापित ई मित्र, सीएससी केंद्र के माध्यम से सक्षम अधिकारी को अग्रिम कार्रवाई के लिए भिजवाने की व्यवस्था करेंगे।

जांच के बाद सक्षम अधिकारी करेंगे प्रमाण-पत्र जारी

आदेश के अनुसार सक्षम अधिकारी नियमानुसार जांच करने के बाद अगले 30 से 60 दिनों में प्रमाण पत्र जारी करेंगे। अगर आवेदन किसी कारण से निरस्त किया जाता है तो इसकी कारण सहित सूचना संस्था प्रधान को दी जाएगी। वहीं, विद्यार्थी के नियमित रूप से स्कूल आने से प्रमाण पत्र में आने वाली कमी समय से पूरी हो सकेगी। इससे प्रमाण पत्र बनाने में ज्यादा समय नहीं लगेगा। मूल निवास प्रमाण पत्र जारी होने के बाद उसकी एक कॉपी स्कूल में विद्यार्थियों को लाभ, रियायत, सुविधाएं दिलाने के लिए रखेंगे।

कम होंगे बच्चों और अभिभावकों के चक्कर

देखने में आया है कि अभी किसी भी विद्यार्थी को मूल-निवास व जाति प्रमाण पत्र बनाने के लिए एक लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता था। ऐेसे में विद्यार्थियों के साथ उनके अभिभावकों को काफी परेशानी उठानी पड़ती थी।

इनका कहना है

मूल निवास प्रमाण पत्र को लेकर विभाग ने आदेश जारी कर दिए की अब सरकारी स्कूलों में ही कक्षा पाचंवी से आठवीं तक के विद्यार्थियों मूल निवास प्रमाण पत्र बनाएं जाएंगे। जबकि स्कूलों में पहले से शिक्षकों के पास एमडीएम, बीएलओ, नि:शुल्क साइकिल वितरण, ट्रांसपोर्ट वाउचर आदि अनेक कार्य है। जिससे विद्यार्थियों की पढ़ाई नहीं हो पाती है। राज्य सरकार से संघ की मांग है की मूल निवास प्रमाण पत्र बनाने का जिम्मा स्कूलों की जगह जिला शिक्षा अधिकारी या ब्लॉक शिक्षा अधिकारियों को दिया जाएं जिससे स्कूलों में अध्यापन कार्य प्रभावित नहीं हो।

मोहरसिंह सलावद, प्रदेश शिक्षक संघ रेसटा राजस्थान



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