दिल्ली :-भारतीय मूल के ऋषि सुनक इतिहास बनाते हुए ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री बन गए हैं. ऋषि सुनक पहले ऐसे भारतवंशी हैं, जो यूके सरकार का सबसे बड़ा पद संभालेंगे. ऋषि सुनक ने टोरी लीडरशिप चुनाव में पेनी मोरडॉन्ट को पीछे छोड़ते हुए प्रधानमंत्री की कुर्सी पर कब्जा कर लिया है.
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अगर भारत को आजाद किया गया तो सत्ता गुंडों और मुफ्तखोरों के हाथ में चली जाएगी। सभी भारतीय नेता बहुत ही कमजोर, भूसे के पुतलों जैसे होंगे...'
ये शब्द कभी ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल ने भारत की आजादी के विरोध में कहे थे।
आज उसी विंस्टन चर्चिल के यूनाइटेड किंगडम का प्रधानमंत्री एक भारतीय मूल का व्यक्ति बन रहा है..........
रिपोर्ट्स की मानें तो ऋषि सुनक को 180 से ज्यादा कंजर्वेटिव सांसदों का समर्थन था, जबकि समर्थन के मामले में पेनी काफी पीछे रह गईं. जिसके बाद पेनी ने अपना नाम वापस ले लिया और ऋषि सुनक के नाम का आधिकारिक ऐलान कर दिया गया.
कौन हैं भारतीय मूल के ऋषि सुनक
ऋषि सुनक का जन्म 12 मई 1980 को ब्रिटेन के साउथम्पैटन में हुआ था. ऋषि के पिता डॉक्टर और मां एक दवाखाना चलाती थीं. ऋषि सुनक तीन बहन-भाई हैं जिनमें वे सबसे बड़े हैं. ऋषि सुनक के दादा-दादी का जन्म पंजाब प्रांत (ब्रिटिश इंडिया) में हुआ था, जबकि ऋषि सुनक के पिता का जन्म केन्या तो उनकी मां का जन्म तंजानिया में हुआ था.
ऋषि सुनक ने ब्रिटेन के विंचेस्टर कॉलेज से राजनीतिक विज्ञान में पढ़ाई की, जिसके बाद उन्होंने आगे की पढ़ाई ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से की. ऑक्सफोर्ड में ऋषि सुनक ने फिलोसॉफी और इकॉनोमिक्स को पढ़ा. इसके बाद ऋषि सुनक ने स्टैनफोर्ड से एमबीए भी किया. इस दौरान वे यूनिवर्सिटी में स्कॉलर थे. पढ़ाई पूरी करने के बाद ऋषि सुनक ने गोल्डमैन सैक्स के साथ काम किया और बाद में हेज फंड फर्म्स में पार्टनर बन गए.
कोरोना काल में खूब मशहूर हुए ऋषि सुनक
ऋषि सुनक बोरिस सरकार में काफी लोकप्रिय मंत्री रहे. उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता था कि जब भी सरकार की कोई प्रेस ब्रीफिंग होती थी तो अक्सर वे भी चेहरे के तौर पर नजर आते थे. कोरोना काल में यूके की आर्थिक स्थिति को ठीक रखने के पीछे भी ऋषि सुनक की तारीफ की जाती हैं.
ऋषि की मेहनत का नतीजा था कि कोरोना काल में भी सभी वर्ग के लोग उनके कामकाज से पूरी तरह खुश थे. कोरोना काल में ही ऋषि सुनक की नीतियों की वजह से लोगों की मजदूरी नहीं घटी, जिसका फायदा भी काफी लोगों को पहुंचा और ऋषि और ज्यादा लोगों के चहेते बन गए.
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