विशेष संवाददाता इंद्राज कुमावत, जयपुर :- राजस्थान राज्य में भरतपुर जिले के पसोपा गांव में पहाड़ियों पर अवैध खनन रोकने की मांग को लेकर पिछले 1 साल से चल रहा हिंदू साधु संतों का आंदोलन अब तेज होता जा रहा है बुधवार को आंदोलन में शामिल संत बाबा विजय दास उम्र 65 ने खुद को आग लगाकर आत्महत्या करने की कोशिश की सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी संभाल रहे पुलिस कर्मचारियों और स्थानीय नागरिकों द्वारा बाबा विजय दास को अस्पताल ले जाया गया जहां पर उनकी हालत गंभीर बताई जा रही है आपको बता दें कि बाबा विजय दास लंबे समय से आंदोलन में शामिल रहे हैं।
भरतपुर की 5 तहसीलों में इंटरनेट सेवा बाधित
बुधवार को आंदोलन के दौरान वे अपने साथ पेट्रोल की बोतल लेकर पहुंचे थे बाबा विजय दास ने अचानक खुद पर है पेट्रोल लगा कर आग लगा ली वे बरसाना के निवासी हैं एक साधु नारायण दास मंगलवार से मोबाइल टावर पर बैठे हुए थे उन्हें नीचे उतारने को लेकर प्रशासनिक एवं पुलिस अधिकारियों द्वारा समझाइश की गई लेकिन नारायण दास ने अवैध खनन पेड़ों की अवैध कटाई बंद होने तक नीचे नहीं उतरने से इंकार कर दिया वह पूरी रात मोबाइल टावर पर बैठे रहे साधु संत और स्थानीय ग्रामीणों के साथ 1 साल से धरना दे रहे हैं राज्य सरकार के पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने संतों से बात करने का प्रयास किया लेकिन संतों ने अवैध खनन बंद होने तक किसी प्रकार की बात करने से इंकार कर दिया आंदोलन फैलता देखकर भरतपुर के संभागीय आयुक्त सांवरमल वर्मा ने 5 तहसीलों में इंटरनेट सेवा को बंद करने के निर्देश दे दिए गए तथा पुलिस चौकसी बढ़ा दी गई है।
गंभीर चेतावनी के बाद भी प्रशासन सावधान नहीं हुआ
बाबा विजय दास द्वारा खुद को आग लगाने की चेतावनी रविवार को दी थी लेकिन इसके बावजूद प्रशासन सावधान नहीं हुआ बुधवार सुबह बाबा विजय दास धरना स्थल पर पहुंचे और बोला कि अब मेरी मृत्यु का समय निश्चित हो चुका है जिसे कोई टाल नहीं सकता मेरा ब्रजभूमि की सेवा और रक्षा के लिए मरना तो निश्चित है मेरी मौत की जिम्मेदार राजस्थान सरकार होगी इसके बाद बाबा विजय दास ने स्वयं पर पेट्रोल डालकर आग लगा ली मौके पर मौजूद पुलिसकर्मी और ग्रामीण उन्हें अस्पताल लेकर पहुंचे कि उन्हें भर्ती कर इलाज प्रारंभ किया लेकिन उनकी हालत काफी गंभीर बताई जा रही है।
आपको जानकारी के लिए बता दें कि साधु संत ब्रज चौरासी कोस की परिक्रमा क्षेत्र में आने वाले कनकाचल और आदिबद्री पर्वत में हो रहे अवैध खनन और पेड़ों की कटाई बंद करने की लंबे समय से मांग कर रहे हैं संतों का कहना है कि आदि बद्री पर्वत में भगवान बद्री के दर्शन होते हैं जबकि कनकाचल पर्वत में कई पौराणिक अवशेष हैं जिनकी श्रद्धालु परिक्रमा करते हैं।
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